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मनी लॉन्डरिंग के तहत गिरफ्तारी का ED का अधिकार बरकरार, Supreme Court

नई दिल्ली: प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट ( PMLA) के तहत ED द्वारा की गई गिरफ्तारी, जब्ती और जांच की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फैसला सुनाया. PMLA मामलों में ED की शक्तियों को सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने PMLA के तहत गिरफ्तारी के ED के अधिकार को बरकरार रखा. कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी की प्रक्रिया मनमानी नहीं है. अपराध की आय, तलाशी और जब्ती, गिरफ्तारी की शक्ति, संपत्तियों की कुर्की और जमानत की दोहरी शर्तों के PMLA के कड़े प्रावधानों को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, ED अफसर पुलिस अधिकारी नहीं हैं, इसलिए PMLA के तहत एक अपराध में दोहरी सजा हो सकती है.

PMLA केस में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फैसले में कहा कि, गंभीर अपराध से निपटने के लिए कड़े कदम जरूरी हैं. मनी लॉन्ड्रिंग ने आतंकवाद को भी बढ़ावा दिया है. मनी लॉन्ड्रिंग आतंकवाद से कम जघन्य नहीं है. मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधि का देशों की संप्रभुता और अखंडता पर अंतरराष्ट्रीय प्रभाव पड़ता है. मनी लॉन्ड्रिंग को दुनिया भर में अपराध का एक गंभीर रूप माना गया है. अंतरराष्ट्रीय निकायों ने भी कड़े कानून बनाने की सिफारिश की है. मनी-लॉन्ड्रिंग न केवल राष्ट्र के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को प्रभावित करता है बल्कि अन्य जघन्य अपराधों को भी बढ़ावा देता है. जैसे कि आतंकवाद, NDPS से संबंधित अपराध.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने 545 पेजों के फैसले में कहा है कि, 2002 कानून के रूप में कानून के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए और पृष्ठभूमि जिसमें इसे अंतरराष्ट्रीय निकायों (International bodies) के प्रति प्रतिबद्धता के कारण अधिनियमित किया गया था और उनकी सिफारिशों के अनुसार, यह स्पष्ट है कि यह मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों के विषय से निपटने के लिए एक विशेष कानून है, जिसका वित्तीय प्रणालियों पर अंतरराष्ट्रीय प्रभाव पड़ता है जिसमें देशों की संप्रभुता और अखंडता शामिल है.

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